http://Whatyouwant.in

Nice Short Story The Egg By Andy Weir - Hindi Translation

| 12957 views 1 vote 0 comments del.icio.us Permalink
तुम अपने घर जा रहे थे, जब तुम्हारी मौत हो गयी थी. 
यह एक कार दुर्घटना थी. कुछ भी विशेष रूप उल्लेखनीय नहीं है, पर जानलेवा थी. तुम्हारे पीछे एक पत्नी और दो बच्चों रह गये हैं. मरते हुए तुम्हे कोई तकलीफ़ नहीं हुई. डॉक्टर्स ने तुमको बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. सही मे, तुम्हारा शरीर इतनी बुरी तरह से घायल हो गया था कि उससे तुम अब (मर कर) ही अच्छे हो.
और फिर तुम मुझसे मिले.
"क्या ... ये क्या हुआ?" तुमने पूछा. "मैं कहाँ हूँ?"
मैने सीधे-२ कहा, "तुम मर चुके हो". घुमा फिरा कर कहने का कोई फायेदा नहीं था.
"एक ... एक ट्रक था और वो घिसटता हुआ आ रहा था ..."
"हाँ," मैंने कहा.
"मैं ... मैं मर गया हूँ?"
"हाँ. लेकिन इस बात का बुरा मत मानो. हर कोई एक दिन मरता ही है, " मैंने कहा.
तुम ने चारों ओर देखा. कुछ भी नहीं था. बस तुम और मैं. 
"ये कौन सी जगह है?" तुमने पूछा. "क्या यह यमलोक है?"
"कुछ कुछ वैसा ही" मैंने कहा.
"क्या आप भगवान हैं?" तुम ने पूछा.
"हाँ," मैंने उत्तर दिया. "मैं भगवान हूँ."
"मेरे बच्चे ... मेरी पत्नी," तुमने कहा.
"उनकी क्या बात है?"
"वो सब ठीक तो होंगे?"
"यही तो मैं देखना चाहता हूँ," मैंने कहा. "तुम अभी-२ मरे हो और तुम्हे अपने परिवार की सबसे ज़्यादा फिकर हो रही है. यह बहुत ही अच्छी बात है."
तुमने मुझे बड़ी उमीद के साथ देखा. तुम्हे मैं, भगवान जैसा नहीं दिख रहा था. मैं बस एक आदमी की तरह दिख रहा था. या शायद एक औरत की तरह. कुछ -२ एक सरकारी अधिकारी जैसा, या जैसे कोई हिन्दी व्याकरण का अध्यापक हो, ना की सर्वशक्तिमान भगवान के जैसा.
"चिंता मत करो," मैंने कहा. "वे सब सही सलामत रहेंगे. तुम्हारे बच्चे तुम्हे बिल्कुल आदर्श रूप मे याद रखेंगे. उन्हे कभी तुम से बत्तमीज़ी करने का मोका नहीं मिलेगा. तुम्हारी पत्नी बाहर से रोएगी, लेकिन अंदर ही अंदर तो उसे राहत मिली होगी. सच कहूँ तो, तुम्हारी शादी तो टूट ही रही थी. अगर इससे तुम्हे कुछ शांति मिलती हो तो, इस राहत के लिए वो बहुत शर्मिंदा भी महसूस करेगी "
"ओह," तुमने कहा. "तो अब क्या होगा? मैं स्वर्ग या नरक जैसी किसी जगह पर जाऊँगा क्या? "
"ना" मैंने कहा. "तुम्हारा फिर से जन्म हो जाएगा."
"आह," तुमने कहा. "तो हिंदू लोग सही कहते थे"

"सभी धर्म अपनी जगह पर सही ही हैं," मैंने कहा. "आओ मेरे साथ चलो."
तुम मेरे पीछे -२ आए और हम शून्य की तरफ लंबे -२ कदम भरते हुए चल दिए. 
"हम कहाँ जा रहे हैं?"
"कहीं भी नहीं," मैंने कहा. "बातें करते हुए साथ मे सैर करना अच्छा रहेगा"
"पर उसका क्या फ़ायदा है?" तुम ने पूछा. "जब मैं फिर से एक बच्चे के रूप मे जन्म लूँगा, तो फिर से एक खाली तख़्ती की तरह हो जाऊँगा?. इस जन्म के सारे अनुभव और इस जीवन में जो कुछ भी किया है, उसका अब कोई मतलब नहीं है"
"ऐसा नहीं है!" मैंने कहा. " पिछले सभी जन्मों का ज्ञान और अनुभव, तुम्हारे अंदर ही है, बस तुम्हे अभी याद नहीं है. "
मैने चलना बंद कर दिया और कंधे से तुम्हे थामा. "तुम्हारी आत्मा, तुम्हारी कल्पना से, कहीं ज़यादा शानदार, सुंदर और विशाल है. जो तुम असलियत मे हो, उसका तो बस अंश ही एक आदमी के मस्तिष्क मे आ सकता है. ये ऐसा ही है, जैसे हम पानी के गिलास मे अपनी उंगली डालते हैं ये पता करते के लिए की पानी ठंडा है या गरम. ऐसे ही तुम अपनी आत्मा का थोड़ा सा हिस्सा अपनी काया मे डालते हो, और जब तुम उसे बाहर निकलते हो तो उसके साथ हुए सारे अनुभव तुम्हे मिल जाते हैं.  
"तुम पिछले 48 वर्षों से तुम एक मानव के रूप मे रह रहे थे, इस लिए तुम अभी पूरी तरह से खुले नहीं हो और अपनी विशाल चेतना को महसूस नहीं किया है. अगर लंबे समय के लिए यहाँ बाहर रहोगे, तो अपने आप सब कुछ याद आना शुरू हो जाएगा. लेकिन प्रत्येक जीवन से पहले ऐसा करने का कोई मतलब नहीं है. "
"मैं अब तक कितनी बार पुनर्जन्म ले चुका हूँ?"
"बहुत सारे. बहुत- बहुत सारे. और इन विभिन्न जन्मों मे से " मैंने कहा "इस बार तुम 540 ईसा पूर्व में एक चीनी किसान लड़की के रूप मे जन्म लोगे"
"हैं?" तुमने तुतलते हुए कहा. "आप मुझे समय मे वापस भेज रहे हैं?"
"हाँ, तकनीकी रूप से कहा जाए तो. समय, जैसा की तुम मानते हो, केवल तुम्हारी दुनिया मे मौजूद है. जहाँ से मैं आया हूँ, वहाँ सब कुछ काफ़ी अलग है"
"आप कहाँ से आए हैं?" तुमने कहा.
"ओह ज़रूर" मैने समझाया "मैं कहीं से आया हूँ. किसी और ही दुनिया से. और मुझ जैसे और भी हैं. मुझे पता है कि तुम ये जानना चाहते हो कि वहाँ सब कुछ कैसा है, पर ईमानदारी से कहूँ तो, तुम्हे कुछ समझ ही नहीं आएगा.  
"ओह," तुमने कहा, थोड़ी नाउमीदी से. "ज़रा रुकिए. अगर मैं समय में अन्य स्थानों मे पुनर्जन्म ले सकता हूँ, तो कहीं पर तो मैं अपने आप से ही बात कर सकता हूँ"
"बिल्कुल. ऐसा होता रहता है. और क्यूँकि दोनो जन्मों को सिर्फ़ अपनी ही जानकारी होती है, तुम्हे इसका पता भी नहीं चलता"
"तो फिर इस सब का मतलब क्या है?"
"सच में?" मैंने पूछा. "सच में? तुम जीवन के अर्थ के बारे मे मुझसे पूछ रहे हो? ये कुछ घिसा पिटा सवाल नहीं है? "
"पर यह एक जायज़ सवाल है," तुम फिर भी अड़े रहे.
मैंने तुम्हारी आंखों में देखा. "जीवन का अर्थ जिसके लिए मैने इस पूरे ब्रह्मांड को बनाया है, कि तुम परिपक्व(समझदार) हो सको."
"आपका मतलब पूरी मानव जाति से है? आप हमें परिपक्व करना चाहते हैं? "
"नहीं, सिर्फ तुम्हे. मैने सिर्फ़ तुम्हारे लिए इस पूरे ब्रह्मांड को बनाया है. प्रत्येक नये जीवन के साथ तुम आगे बढ़ते हो और परिपक्व होते हो और ज़्यादा बुधिमान हो जाते हो. "
"सिर्फ़ मैं? और बाकी सब का क्या? "
"वहाँ कोई और नहीं है," मैंने कहा. "इस ब्रह्मांड में, सिर्फ़ तुम और मैं ही हैं."
तुमने मुझे उदासी से देखा. "लेकिन धरती पर सभी लोग ..."
"सब तुम ही हो. तुम्हारे ही अलग-२ जन्म हैं "
"एक छन रूको. मैं ही हर कोई हूँ? "
"अब तुम सब समझ रहे हो," मैं तुम्हारी पीठ पर एक बधाई की थाप देते हुए कहा.
"जो आज तक पैदा हुए हैं, वो सब इंसान मैं ही हूँ?"
"और जो आगे पैदा होंगे."
"मैं महात्मा गाँधी हूँ?"
"और नथुराम गोडसे भी तुम ही हो" मैंने कहा.
"मैं हिटलर हूँ?" तुमने चकित हो कर कहा.
"और जिन लाखो लोगो को उसने मारा था, वो भी तुम ही हो."
"मैं श्रीकृष्णा हूँ?"
"और जो उसके सभी भक्त बने, वो भी तुम ही हो."
तुम चुप हो गये.
"जब भी तुमने किसी को कुछ कष्ट दिया" मैने कहा " वो तुम खुद को ही कष्ट दे रहे थे. जब भी तुम्हे कोई दयालुता का कम किया, वो तुमने अपने लिए ही किया. हर सुख और दुख का छन, जो किसी भी मानव ने अनुभव किया, या करेगा, वो तुमने ही अनुभव किया."
तुम काफ़ी देर तक सोचते रहे.
"क्यों?" तुमने मुझसे पूछा. "आप यह सब क्यों करते हो?"
"क्योंकि एक दिन, तुम मेरे जैसे बन जाओगे. क्योंकि वास्तविकता मे तुम ऐसे ही हो. तुम मुझ जैसे हो. तुम मेरी ही संतान हो. "
"वाह," तुमने अविश्वास से कहा. "इसका मतलब, मैं एक भगवान हूँ?"
"नहीं. अभी तक नहीं. तुम अभी भ्रूण हो. तुम अभी भी बढ़ रहे हो. तुम जब धरती पर सब लोगो की जिंदगी जी लोगे, तो तुम पैदा होने के लायक हो जाओगे."
"तो पूरा ब्रह्मांड," तुमने कहा "यह सिर्फ ...",
"एक अंडा है" मैंने जवाब दिया. "अब समय आ गया है की तुम अपनी अगली जिंदगी की तरह बढ़ चलो."
और मैंने तुम्हे तुम्हारे रास्ते पर रवाना कर दिया.Original English Text : http://www.galactanet.com/oneoff/theegg_mod.html 
Universe as an egg
Tags
The Egg, Andy Weir, Hindi Translation
Liked it? Share it!
Contact
Posted By : whatyouwant.in
vikas
You can also post anything here and share it with your friends? Click here to sign in.


If the information on this page is illegal,adult content,not suitable for all users ,
Click here to Report abuse

 
comments
 Comments
Post a comment(reply).
Name*
Email address (This emailid will be published with your comment.)
URL
 Comment(reply)*
 
 
 
Home     What You want     Site Map    RSS    Tell a friend    Contact Us    About Us    
counter © Whatyouwant.in